Not known Facts About Shodashi

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ज्येष्ठाङ्गबाहुहृत्कण्ठकटिपादनिवासिनीम् ॥७॥

सर्वाशा-परि-पूरके परि-लसद्-देव्या पुरेश्या युतं

Shodashi is recognized for guiding devotees towards increased consciousness. Chanting her mantra promotes spiritual awakening, encouraging self-realization and alignment with the divine. This reward deepens interior peace and knowledge, generating devotees more attuned for their spiritual ambitions.

Charitable functions for instance donating meals and apparel into the needy are also integral towards the worship of Goddess Lalita, reflecting the compassionate facet of the divine.

साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।

प्रणमामि महादेवीं परमानन्दरूपिणीम् ॥८॥

गणेशग्रहनक्षत्रयोगिनीराशिरूपिणीम् ।

देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥

लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

ह्रीं ह्रीं ह्रीमित्यजस्रं हृदयसरसिजे भावयेऽहं भवानीम् ॥११॥

Out of curiosity why her father did not invite her, Sati went towards the ceremony even though God read more Shiva tried warning her.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥

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